तात्पर्य गीता अध्याय ३
धूसर चित धर कर्म को, ज्ञानी तेज प्रकाश /
कर्म ज्ञान दुई छोर हैं बीच ध्यान आकाश //
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अंधा-, पत्तल सामने, कुत्ता खिचड़ी चाट /
काम क्रोध हो लापता, अखियों के खुल जात //
................................................ अरुण
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