निर्विकल्प अवस्था



सैकड़ों मील दूर बैठे आदमी
दृदय से जुड़े होते हैं
दो सटे बैठे भी मन से
कई मील दूर होते हैं
अंतर और समय सापेक्ष बाते हैं
निर्विकल्प अवस्था के लिए
न समय का और न ही
अवकाश का कोई अस्तित्व है
-अरुण

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