‘मै ब्रह्माण्ड हूँ’
सागर
में जहाज के डेक पर
खड़ा
हुआ आदमी
यदि
कहे कि वह सागर पर खड़ा है,
तो
उसका यह वक्तव्य तथ्य से परे नहीं है
ऐसे
ही यदि वह कहे कि –
‘मै
पृथ्वी पर या पृथ्वी में खड़ा हूँ’ – तो यह भी
असत्य
नहीं है
इसी
की निरंतरता में यदि वह कहे कि
‘मै
ब्रह्माण्ड हूँ’- तो यह भी १०० प्रतिशत सही है.
इन्ही
सही बातों और तथ्यों की सत्यता का
तन-मन-दृदय
की समग्रता से अनुभव लेना ही
ध्यान
है, समाधी है, भक्ति है,
योग
है, तत्व में जीना है .....
और
ऐसी ही कई बातें
-अरुण
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