भान-निर्भान



भान वास्तव का खिला तो
भान भ्रम का डस गया
भान-वास्तव में छुपा
निर्भानका का सब सिलसिला
सत-असत निष्कर्ष केवल
भान ही के उप-फले
प्राण जबतक भान तबतक
चेतना के सब दिये
-अरुण    

Comments

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

तीन पोस्टस्

लफ्जों की कश्तियों से.........