जो उसके ‘होने’ में हैं उन्हें ही .........



सत्य/प्रेम/भक्ति/शक्ति/ईश्वर... जो भी कहें, उसका
‘होना’  या ‘न होना’ – यही हैं दो संभावनाएं
‘होना’ किसे कैसा लगता/दिखता/समझ आता/भाता/या नहीं भाता
यह सवाल बिलकुल ही अलहिदा है
जो उसके  ‘होने’ में हैं उन्हें ही वह छूता है
बाकि सारे केवल उसका/उसपर
विश्वास/श्रद्धा/भाष्य/प्रवचन/भजन/पूजन/विवादन
करते रहते हैं
-अरुण 
 
 

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