समस्या आपसे बोलती है ....



जब समस्या या उलझन आपसे सीधे सीधे बोलती है, आप उसे ठीक से देख लेते हो. परन्तु जब आप अपनी समस्या से (अपने से ही) बोलने लगते हो, आप उसे पूरी तरह देख नहीं पाते. समस्या को पूरी तरह देख लेना ही समस्या का हल है. उसे अधूरे या अस्पष्ट देखना उसे बनाए रखता है.
-अरुण  

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