विचार की दौड़ विचार से ऊपर उठने के लिए है



बुद्धि का अभियान है - तर्क के रास्ते पर विचारचक्र के माध्यम से दौड़ते हुए, रास्ते से ऊपर उठना
और अतर्क्य के आकाश में उड़ जाना. परन्तु होता यूँ है कि हम उम्रभर तर्क की सतहपर ही दौड़ते रह जाते है. तर्क जहाँ थम जाता है वहां भी फिर  तर्क का नया मार्ग रचते हुए कोलू के बैल की तरह उसी सतह पर चक्कर लगाते रह जाते है. हवाईपट्टीपर विमान दौड़ते हुए आकाश में प्रवेश कर जाता है. हमारा तर्कयान तो विचार-पथ पर दौड़ते हुए यह भूल जाता है की उसे विचार से ऊपर उठना है.
-अरुण     

Comments

Popular posts from this blog

षड रिपु

मै तो तनहा ही रहा ...