मनुष्य की सारी फड़फड़ाहट .... यही है



भौतिक जगत में पिंजड़ा और पक्षी दो भिन्न वस्तुएं हैं. मनस जगत में पक्षी ही अपने चहुंओर पिजड़ा खड़ा कर देता है और फिर बाहर निकलने के लिए फडफडाता रहता है. हार्डवेयर जो नहीं कर सकता, सोफ्टवेयर कर देता है. उदाहरणार्थ, आदमी को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुचने के लिए गति, शक्ति और समय, तीनों की जरूरत पड़ती है परन्तु आदमी का दिमाग, बिनसायास बिना समय के, इस माने स्थल से उस माने स्थल पर पहुँच जाता है. मानना काम है मन का (सोफ्टवेयर) और करना काम है तन का यानि (हार्डवेयर) का. इस तथ्य के अंतर्गत, विचार (पक्षी) अपने साथ विचारक (पिंजड़ा) को ले आता है. न तो विचार से विचारक और न ही विचारक से विचार अलग हो सकता है. मनुष्य की सारी
फड़फड़ाहट ... यही है
-अरुण
     

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