ज्ञान-उर्जा का स्पर्श



छूवे को कह जान तो अनछूवे को मान
सब छूवा- जाना नहीं, कुछ छूवा तो जान
-अरुण
जो अपनी जीवंत ज्ञान-उर्जा के माध्यम से सकल को छूते रहते हैं, वे ‘कुछ भी जाना नहीं’ वाली अवस्था में होते हैं. जानने का मतलब ही है कि कुछही जाना है. जो जाना गया वही है ज्ञान, जो नहीं जाना गया, उसे मान यानि मान्यता की संज्ञा देनी होगी. अज्ञानी या असकल ज्ञानी  -हमेशा ‘कुछ जाना कुछ माना’ वाली अवस्था में होता है.
-अरुण

  

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