झूठे सच
झूठे सच ----------------- जो तथ्यरूप में 'है' उसका कोई उपयोग करे तो इसमें क्या ग़लत? परंतु जो किसी भी रूप में 'है ही नही' उसके 'होने को' मानते हुए, ... कोई भी कारवाई करना कहाँ तक सही (सत्य) होगा? मगर मनुष्य का सांसारिक जीवन एक ऐसा प्रसंग या situation है जहाँ 'है ही नही' के 'होने को' स्वीकारते हुए उसको भी उपयोग में लाया जाता है। सवाल उठेगा कौन से हैं वे झूठे सच (अतथ्य तथ्य) जिन्हें सांसारिकता उपयोगी मानती है? वे 'झूठे सच' कई कई कई हैं मगर केवल एक झलक के तौर पर, कुछ हैं जैसे...... व्यक्तित्व,महत्व,भिन्नत्व, उद्देश्य, यश-अपयश,समाज,देश-परदेस,अहंकार,अस्मिता इत्यादि इत्यादि - अरुण