देह-मन-बुद्धि और बुद्धत्व



आत्म-चिन्तन दर्शाता है कि
अस्तित्व और देह के बीच भेद का भाव उभरने के साथ ही,
देह से मन उभरता है और  फिर मन से बुद्धि फलकर कार्यरत हो जाती है.
इसी क्रम में बुद्धिसे बुद्धत्व फले तभी विकास का वृत्त पूरा हो.
परन्तु अक्सर मन-बुद्धि की प्रक्रिया में, ध्यान खो जाने के कारण,
बुद्धत्व की शक्यता समाप्त हो जाती है.
-अरुण        
 

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