जानना, मानना और जागना
जान
जानने के काम आती है, मन मानने के और ध्यान काम आता है जागने के.
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जो
जागा हुआ है, वह है जागा.... दोनों पर- एक ही साथ और एक ही वक्त. ‘
जानने’
और ‘मानने’ दोनों पर उसका ध्यान होने के कारण वह कभी भी confused (संभ्रमित) नही
रहता.
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Unconfused
या स्पष्ट चित्त ही ध्यानस्थ भी है और प्रेमस्थ भी
-अरुण
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