इसे ग़ौर से पढ़ें और विचारें

 “ऊंचाई नापनी हो तो किसी छोटी-ऊंची चीजका
इस्तेमाल होता है,
मतलब ऊंचाई ही
नापती है ऊंचाई को, इसीतरह
अन्तस्थ के या भीतरी दृश्य को देखते समय,
अन्तस्थ की प्रतिमा या दृश्य (अहं/मै) ही उसे देखता है”

- इस तथ्य को जो ‘देखने’ के दौरान देख सके
उसका देखना गुणात्मक रूप से भिन्न होगा
- अरुण

Comments

yashoda Agrawal said…
आपकी लिखी रचना शनिवार 08 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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