न कोई तमाशा है, न कोई तमाशाई

अस्तित्व  ही जीता है,
उसके जीने में ही
करना, होना जैसी
सारी कृतियाँ और क्रियाएँ
समाहित हैं
इसके अलावा यहाँ न कोई कर्ता है,
न कोई कर्म है, न है कोई तमाशा और
न ही है कोई तमाशाई
- अरुण

Comments

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

तीन पोस्टस्

लफ्जों की कश्तियों से.........