रिश्ते ही जोड़ते हैं.. रिश्ते ही बाँटते हैं

रिश्ते नातों के मकड़जाल में हरेक कोई उलझा हुआ है।इस मकड़जाल के किसी एक हिस्से में अगर कोई अच्छी-बुरी घटना या बदलाव हो जाए तो उसका असर मकड़जाल के किसी दूसरे हिस्से के नाते संबंधों पर हुए बग़ैर नही रहता।दो सगे भाईयों में घटे वैमनस्य का असर बड़ा दूरगामी होता है। उन सगे भाईयों के चचेरे, ममेरे, फुफेरे.... भाई और बहनें भी पक्षविपक्ष की छूत एवं ग़लतफ़हमियों के असर में आकर, अलग अलग खेमों में बँट जाते है। रिश्ते ही जोड़ते हैं.. रिश्ते ही बाँटते हैं।
क्या रिश्तों की निरपेक्षता एवं स्वास्थ्य बनाए रखना बहुत मुश्किल है?
- अरुण

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