स्मृति-अज्ञ और स्थितप्रज्ञ

हम सभी प्रायः स्मृति में उलझा हुआ जीवन जी रहे हैं यानि अपनी मौलिकतासे..... मूल-स्थिती से अपना ध्यान हटाये हुए हैं, स्मृति-अज्ञ हैं।अपनी मौलिक अवस्था पर जागा हुआ आदमी, आत्मस्थ यानि स्थितप्रज्ञ होता है।
ऊपर लिखा जीवन-तथ्य...अवधानमय ध्यान को ही उजागर हो  सकता है, स्मृतिबद्ध ज्ञान को नही।
- अरुण

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