समय है.. एक का एक...eternal ..... सनातन
समय है ...अविरत एक का एक..eternal....सनातन ...
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जहाँपर.. कालनिद्रस्थ आदमी का .....'भूत' (past)
सर उठाता है....उसके 'भूत' को लगता है वह है ...'वर्तमान' ।
जब 'भूत'.. स्वयं में झाँकता है.. उसे लगता है .. वह है...'अतीत' ।
जब 'भूत' स्वयं में बदलाव देखता है.. तब उसे वह ..'भविष्य' जैसा लगता है ।
केवल कालजागृत के लिए ही समय है ..अविरत एक का एक...eternal, सनातन-वर्तमान
- अरुण
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जहाँपर.. कालनिद्रस्थ आदमी का .....'भूत' (past)
सर उठाता है....उसके 'भूत' को लगता है वह है ...'वर्तमान' ।
जब 'भूत'.. स्वयं में झाँकता है.. उसे लगता है .. वह है...'अतीत' ।
जब 'भूत' स्वयं में बदलाव देखता है.. तब उसे वह ..'भविष्य' जैसा लगता है ।
केवल कालजागृत के लिए ही समय है ..अविरत एक का एक...eternal, सनातन-वर्तमान
- अरुण
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