दिमाग में ही सारा अस्तित्व ...

अस्तित्व संवेदित हुआ

ह्रदय में चेता

ह्रदय ने अभिव्यक्त होने

दिमाग का इस्तेमाल किया

फिर दिमाग ही दिमाग से बोलने लगा

ह्रदय को भुलाकर

दिमाग में ही सारा अस्तित्व

सिकुडकर बैठ गया

.................................. अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के