परन्तु मै अनुभव कर रहा हूँ कि -

मेरा जीवन अनुभव कर रहा है कि -

जो मेरी कुदरत को छूकर चला जाता है

वह है मेरा इतिहास

जो कभी भी नही आता, वह है भविष्य

और जो है, वह है

मेरा स्वयं

बिना किसी इतिहास

बिना किसी भविष्य

परन्तु मै अनुभव कर रहा हूँ कि

मेरी कुदरत को छूने वाला

इतिहास लद जाता ही मुझपर

मेरी याद बनकर

मेरी भवि- कल्पनाएँ

आगे कि तरफ घसींट रही हैं

मेरा वर्तमान

.......................................... अरुण

Comments

बहुत सही अनुभव करा रही है आपकी ये कविता..... "मेरी कुदरत को छूने वाला इतिहास लद जाता ही मुझपर मेरी याद बनकर मेरी भवि- कल्पनाएँ आगे कि तरफ घसींट रही हैं मेरा वर्तमान"

-----यह पंक्तियाँ कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी
POOJA... said…
परन्तु मै अनुभव कर रहा हूँ कि –
मेरी कुदरत को छूने वाला
इतिहास लद जाता ही मुझपर
मेरी याद बनकर
bahut pyaari lines... sundar...

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के