स्वाधीनता है काल्पनिक



सागर की हर लहर स्वयं को,
अपने आगे उठती लहर की संचालक
समझने लगे तो फिर
सागर की हर लहर
स्वयं को
स्वाधीन हुई समझेगी और
आगे उठती लहर को पराधीन.

हर व्यक्ति के मन में इसी तरह की
स्वाधीनता पल रही है
-अरुण

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