समय खड़ा है, चलता नहीं



इस अपरिमित आकाश में
खड़ा है समय,
आकाश के कण कण में समाये हुए,
न कोई आरम्भ और न अंत लिए,
मगर इस समयाकाश में  
इन्सान चल रहा है
अपनी गति, दिशा और
यात्रा-समय का हिसाब
रखते हुए
-अरुण  

   

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