विवेक एवं श्रद्धा



विवेकवान
श्रद्धा तक पहुँचने की
संभावना रखता है
परन्तु श्रद्धावान के लिए
विवेक की आवश्यकता नहीं होती
क्योंकि श्रद्धावान
विवेक से परे
निर्विचार अवस्था में होता है
-अरुण  

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