यांत्रिक बनाम अयांत्रिक जीवन
यांत्रिक बनकर जीने में सहूलियत है
परन्तु इसतरह जीते हुए जीवन को
समझ पाने में दिक्कत होती है
इसीलिए अधिकांश लोग
जीवन को समझने के ख्याल से दूर ही रहते हैं
समाज अपने हित में
व्यक्ति को नियंत्रण में रखने के लिए
उसे यंत्रवत बना देता है
-अरुण
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