बुद्धि के खिलते........
बुद्धि के खिलते
आदमी प्रबुद्ध हो जाता है,
बुद्धि के जड़ होते,
आदमी निर्बुद्ध यानि यांत्रिक
बन जाता है.
गीता जिसके भीतर खिले वह
मुक्त होने की संभावना रखता है
और जिसके भीतर न खिले,
वह यांत्रिक कर्मकांड में उलझ जाता है
-अरुण
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