निजता और संस्कार



चल पड़ा था निजता लेकर
ढल गया हूँ संस्कारों से
संस्कारों में प्राण अटककर
निजता सारी भूल चुके हैं
-अरुण

Comments

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

तीन पोस्टस्

जो जैसा है वैसा ही देखना