सभी भेद हॉरिज़ान्टल हैं



उपवन में सभी फूल जी रहे हैं
अपने एक जैसे जीवंत वातावरण में
परन्तु बाजार नहीं पहचानता उनके इस
सम-समान सहस्तित्व को,
बाजार के मूल्य-जगत में तो
गुलाब महंगा है और
गेंदा सस्ता
परमात्म जगत में
सभी एक जैसे हैं
परन्तु समाज या इस वस्तुजगत में
कोई ऊँचा है और कोई नीचा
-अरुण  

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