कर्म किसे कहें



जिस कर्म के पीछे कर्ताभाव
मांग-भाव, भिन्नत्व-भाव से उपजी अपेक्षा
काम कर रही होती है वह कर्म,
कर्म यानि यज्ञ नहीं है
वह किसी मृत का हाव-भाव (gesture) मात्र है

जो कर्म संयुक्त या एकात्म-भाव (निरहंकार) से
प्रेरित है उसी को कर्म कहना उचित होगा क्योंकि वही
जीवंत आदमी की कृति है
-अरुण    

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