स्मरण घटे तब अपनो का



स्मृति का आँगन और गगन जो सपनों का
जब विस्मृत हो, स्मरण घटे तब अपनो का  
-अरुण
हर पल स्मृति और स्वप्न के तत्व से
गढ़ा गया मन और ऐसे मन में उपजा
कामचलाऊ ‘मै-पन’ सांसारिक जीवनयापन के
काम आता है.
इस कारण अपना मूलस्वरूप भूले हुए आदमी को
फिर जब ऐसे मन का विस्मरण होता है,
उसे उसके स्वभावगत अपनेपन का
स्मरण लौट आता है
-अरुण    

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