वर्तमान ही हमारा स्वभाव है



वर्तमान में न भविष्य का प्रवाह है
और न अतीत का प्रयोजन,
न अतीत की पीड़ा है
और न भविष्य की प्रतिस्पर्धा.
वर्तमान ही हमारी सच्चाई है जहाँ से
हम पाते हैं अपने को कोसो दूर,
अपने स्वभाव को भूल अपने
संबंधों में अटक हुए.
-अरुण

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