जब खुद अँधेरा ही बने रौशनी
जिस चीज पर रौशनी
बरसी
वह चीज रौशनी बन
गई.
भीतर का अँधेरा (unobserved) अपने को रोशनी (observed) से
बचाता है ताकि वह
महसूस कर सके कि
उसका रौशनी से
भिन्न अस्तित्व है
पर जैसे ही वह
रौशनी के नीचे आ जाता है
जल उठता है और उसक
‘अलगपन’ खो जाता है और
केवल रौशनी ही
रौशनी बचती है
इसीको Enlightenment कहते हैं
-अरुण
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