‘जो है सो है’ का भाव
जो है सो है – इस
भाव से भरा आदमी
हर परिस्थिति में
समाधान से भरा होगा,
चित्त में स्वस्थ
एवं शांत होगा.
अपनी परिस्थिति को
स्वीकारने या नकारने के
भाव में एक तरह का
विकार दबा है,
स्वीकार में
असहायता या समझौता
और
नकार में
‘हमें यह नही
चाहिए’-वाली मांग छुपी होती है
जबकी ‘जो है सो है’
के इस भाव में
न कोई शिकायत है
और न ही कोई मांग है,
‘हर परिस्थिति ठीक
ही है’ वाला समाधान है
-अरुण
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