Posts

Showing posts from May, 2013

अच्छा-बुरा और शुभ-अशुभ

समाज ने बनाये मूल्यों के आधार पर क्या अच्छा और क्या बुरा इस बात का फैसला किया जाता है परन्तु शुभ अशुभ का फैसला मनुष्य की जागी और निद्रित अवस्था करती है जागी (जब अवधान पूरा हो) अवस्था में मनुष्य के हाथों जो भी घटता है वह शुभ है जो निद्रा में घटता है वह अशुभ है -अरुण      

प्रेरणा-जन्य बनाम जागरूकतामय काव्य

काव्य दो तरह का होता है दोनों में गहरा गुणात्मक भेद है एक वह जो किसी प्रेरणा से संचालित है और दूसरा वह जो अंतस की जागरूकता से उभर आता है   पहले में कवि का प्रयास जरूरी है तो दुसरे में कवि का सहज ध्यान ही   काफी है -अरुण      

प्रकृति की कोई नियोजित नियति नहीं

मनुष्य निर्मित वस्तु या विचार किसी मॉडल को सामने रखकर बनाया जाता है प्रकृति-निर्मित वस्तुएं हर क्षण एक अनियोजित रूप को धारण करती हैं क्योंकि वे किसी भविष्य के आधीन नहीं होतीं -अरुण    

जिंदगी का क्या मायने ?

जिंदगी का क्या मायने ? - यह सवाल उस दिमाग की उपज है जो हर चीज में कोई मकसद ढूंढ़ता है, वह यह नहीं समझ पाता कि जिंदगी को जीना ही अपने आप में एक मायने रखता है -अरुण      

उधार में पाए बनाम स्वयं से खोजे जबाब

बालक के मन में जो सवाल उठ्ठे ही नहीं दुनिया उनके जबाब उनके दिमाग में ठूंस देती है, प्रायः ऐसी ठूंसी गई जानकारी का बोझ/बंधन लिए ही हर बालक बड़ा होता है. बचपन से ही जिन्हें मूलभूत सवाल सताते रहे और जो उनके जबाब अपनी खोज से ढूंढते रहे, ऐसे बालक ही जोतिर्मयी बने हैं, जीवन के बन्धनों से मुक्त हो सके हैं -अरुण