मन का बादल भाव जगाये
मन
का बादल भाव जगाये
गर्जन
तर्जन सुनकर उसकी
मोर
मगन हो जाए
या
फिर भय लागे बिजली का
छत
पर गिर ना जाए
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ख़ुशी
या भय
मन
के बादल की उपज है
बादल
के पीछे तना हुआ
शुद्ध
निर्मल आकाश
आनंद
का बसेरा है
-अरुण
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