उधार में पाए बनाम स्वयं से खोजे जबाब



बालक के मन में
जो सवाल उठ्ठे ही नहीं दुनिया उनके जबाब
उनके दिमाग में ठूंस देती है,
प्रायः ऐसी ठूंसी गई जानकारी का बोझ/बंधन लिए
ही हर बालक बड़ा होता है.
बचपन से ही जिन्हें मूलभूत सवाल सताते रहे
और जो उनके जबाब अपनी खोज से ढूंढते रहे,
ऐसे बालक ही जोतिर्मयी बने हैं,
जीवन के बन्धनों से मुक्त हो सके हैं
-अरुण  
  

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