अद्वैत में एक भी नहीं बचता
जब
तक अँधेरा है
प्रकाश
का अस्तित्व होगा ही,
जबतक
बंधन है मुक्ति की अपेक्षा होगी ही,
जब
केवल प्रकाश ही होगा
प्रकाश
की संवेदना भी न बचेगी.
द्वंदों
का अस्तित्व द्वैत में है,
अद्वैत
में एक भी नहीं बचता
-अरुण
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