धूप में ही मशाल जल रही है



धूप पसरी हुई चहुँओर  
नीचे जल उठी भ्रममय मशाल
कि जिसने फैला दिया अपना उजाला
कि जिसमें खुद गयी है वो उलझ,  
न रखती धूप का कोई खयाल
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धूप = स्वयं (Real Self)
मशाल = मै (Substitute Self)
उजाला = मन (Mind/Thoughts)
-अरुण

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