प्रेरणा-जन्य बनाम जागरूकतामय काव्य




काव्य दो तरह का होता है
दोनों में गहरा गुणात्मक भेद है
एक वह जो किसी प्रेरणा से संचालित है
और दूसरा वह जो अंतस की
जागरूकता से उभर आता है  
पहले में कवि का प्रयास जरूरी है
तो दुसरे में कवि का सहज ध्यान ही  
काफी है
-अरुण    

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