कुछ तो अनकहा रह जाता है



जिसे आध्यत्मिक विचारों की
पूरी पूरी या यह कहें, निर्दोष समझ हैं,
उन्हें सारे ज्योतिर्मयी व्यक्तियों
जैसे बुद्ध, ओशो, जे. कृष्णमूर्ति, शंकर, कृष्ण, रमण,
महावीर और जीसस की बातों में कोई भी आतंरिक
विरोध नजर नहीं आता.
हर बुद्ध पुरुष ने
जब भी कुछ कहा, कुछ न कुछ अनकहा रह गया है.
जिसे समझ है, उसकी समझ इन अनकही बातों को
भी सुन-समझ लेती है,
जिन्हें समझ नही वे उनकी कही बातों
के बीच गैरजरूरी विवाद पैदा कर देते हैं
-अरुण

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