लफ्जों की कश्तियों से.........
कहना उन्हें फिजूल सुनना जिन्हें सजा है
वैसा भी कह के देखा., जैसा उन्हें रजा है
लफ्जों की कश्तियों से बातें पहुँच न पाती
इक साथ डूबने का कुछ और ही मजा है
............................................. अरुण
कहना उन्हें फिजूल सुनना जिन्हें सजा है
वैसा भी कह के देखा., जैसा उन्हें रजा है
लफ्जों की कश्तियों से बातें पहुँच न पाती
इक साथ डूबने का कुछ और ही मजा है
............................................. अरुण
Comments
-यह हिस्सा थोड़ा खटका...
बाकी बढ़िया....