जो जैसा है वैसा ही देखना
राह चलता यात्री जो दृश्य जैसा है
वैसा ही देखे तो उसे नदी नदी जैसी, पर्वत पर्वत जैसा,
चन्द्र- चंद्र की तरह और सूर्य में-
सूर्य ही दिखाई देगा
परन्तु यदि दृश्य पर
पूर्वानुभवों, पूर्व-कल्पनाओं और
पूर्व-धारणाओं का साया चढाकर
यात्रा शुरू हो तो शायद
नदी लुभावनी परन्तु पर्वत डरावना लगे
चंद्र में प्रेमी की याद तो सूर्य में
आग का भय छुपा दिख जाए
सारी सीधी सरल यात्रा
भावनाओं और प्रतिक्रियाओं से बोझिल बन जाए
................................................................ अरुण
Comments
arun ji aapki rachna yahan pot hai hai humne........
regrds
Sanjay bhaskar