मजबूर हैं हम, मजबूर हो तुम मजबूर ये दुनिया सारी है

देश के जनता की कमजोरी है कि

वह सुशासन और समृद्ध देश का

सपना देख रही है, वाह अपने दैनिक

जीवन में संतुष्ट नही है और चाहती है कि

चूँकि राजनेता तो कुछ कर नही पा रहे

सो कोई मसीहा आ जाए संकट का निवारण करने

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राजनेताओं की कमजोरी है कि

उन्हें केवल राजनीति करने में रूचि है

उन्हें जनता का मन जीतना है ताकि

सत्ता उनके हाँथ आ जाए

जनता का जीवन संतुष्ट रखने में

उनकी कोई रूचि नही है

इस कारण अब जनता किसी मसीहा की

खोज में है

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कुछ लोग इस परिदृश्य को देखकर विचलित हैं

सो जनता के न्याय के लिए झगडने की भूमिका

निभाने का काम करने में जुट गये हैं

इस काम से मिलने वाली वाह-वाही से

उन्हें समाज में जो मसीहा का विशेष स्थान मिलता लगता है

उसी में उनकी रूचि बढ़ गयी है और यही उनकी कमजोरी है

बस किसी की खिलाफत करना उनका धर्म बन गया है

अधिकार के लिए झगडना उनका व्यवसाय बन गया है

बड़े बड़े आदर्शों का नारा उछालकर वे समाज में

प्रतिष्ठा खोजने में लगे हैं, यही उनके अहंकार का विषय है

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मीडिया को भी झगडा-फसाद या किसी की फजीयत में ही

अधिक रूचि है क्योंकि ऐसी ही खबरों को चौबीस घंटे दिखलानेसे

दर्शकों की संख्या में वृद्धि और समाज में

लोकप्रियता बढ़ेगी

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इन कमजोरियों एवं मजबूरियों का माहोल,

एक चक्रव्यूह बन चुका है जिसमें जनता

फँस चुकी है

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और मै एक निष्क्रीय त्रयास्थ

की तरह सारे परिदृश्य का

निचोड़ निकालने के सिवा

कुछ भी नही कर पा रहा हूँ,

यही है मेरी मजबूरी

......................................................... अरुण

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