कल्पना और वास्तविकता
कल्पना ही
कल्पना को देखती है
गिनती है, उसका विश्लेषण करते हुए
नयी कल्पनाएँ रचती है
परन्तु वास्तविकता मूक शांत- दर्शक है
जिसकी अपनी कोई
बुद्धि नही,
वह तो प्रबुद्ध है
.................................... अरुण
कल्पना ही
कल्पना को देखती है
गिनती है, उसका विश्लेषण करते हुए
नयी कल्पनाएँ रचती है
परन्तु वास्तविकता मूक शांत- दर्शक है
जिसकी अपनी कोई
बुद्धि नही,
वह तो प्रबुद्ध है
.................................... अरुण
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