कोई भी पूर्ण समाधानी नही
प्रकाश सर्व-व्याप्त हो,
हर कोने तथा आड की जगहों में भी
ठसा ठसा भरा हो,
तो अँधेरा चुबने का
सवाल ही नही उठता
परन्तु प्रकाश यदि अधूरा और
फीका फीका सा पसरा हो
तो अँधेरे की चुबन पीछा न छोड़ेगी
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जिंदगी शायद ऐसे ही मध्यम
धीमे, अस्पष्ट और फीके प्रकाश में
गुजरती है
कोई भी पूरी तरह, पूरे समय,
पूर्ण समाधानी नही है
किसी न किसी चुबन से बेचैन है
..................................... अरुण
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