काया, माया और छाया
मन है अस्तित्व को पहचाननेवाला
काया (तन) है अस्तित्व का ही अभिन्न अंग
मन है काया से फलनेवाली माया
सामाजिक मनाधीन बसा मनुष्य का जीवन
उसी माया की छाया में विचरती काया है
........................................ अरुण
मन है अस्तित्व को पहचाननेवाला
काया (तन) है अस्तित्व का ही अभिन्न अंग
मन है काया से फलनेवाली माया
सामाजिक मनाधीन बसा मनुष्य का जीवन
उसी माया की छाया में विचरती काया है
........................................ अरुण
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