अहंकार – स्पष्ट और सुप्त

कहतें हैं कि अहंकार

सुप्त या स्पष्ट स्वरूप में

सब में ही होता है

राजा को अपनी सत्ता का तो

आश्रम में रहने वाले को

अपने भक्तों की बढती संख्या का

................

देश में चल रही

आज की घटनाओं में भी

जीवन का यह सत्य दिख जाता है

.....

राज्य पर बैठे तो राज्य-सत्ता की मस्ती में हैं ही

परतु सत्ता को झुकाने का दावा करनेवाले

बाबा और अन्ना का व्यवहार भी

उनके सुप्त अहंकार को

(उनकी देह-भाषा और वक्तव्यों द्वारा)

उजागर कर ही देता है

खैर, इतना तो राजनैतिक प्रसंग में

चलता ही हैं

.............................................. अरुण

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