जनता से डरे राजनेता
जिस दिन भारत की राजनीति में
पार्टी का नेता और उसके कार्यकर्त्ता
अपने दिल की बात
सार्वजानिक रूप से करने का साहस
जुटा लेंगे
उसी दिन देश में
राजनीति का स्तर सुधरेगा
अभी सब डरे हुए दिखते हैं
कहीं जनता अपनी बात से
नाराज न हो जाए
इस बात का डर उन्हें घेरे रहता है
इसी लिए
‘मन में कुछ तो जुबान पे कुछ और’
जैसे आचरण के सब शिकार दिखते हैं
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यही बात मीडिया को भी लागू है
आम जनता की मूर्खता के बारे में
लिखने -कहने का साहस किसी के पास नही
इसीतरह जिस दिन
चुनाव में
नेतागण हार जाने के भय के
बावजूद जनता से सीधी सच्ची बात करने लगेंगे
वही चुनाव सही चुनाव होगा
......................................... अरुण
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