छोड़ दोगे गर किनारे.........
छोड़ दोगे गर किनारे जिंदगी बह जाएगी
जिंदगी के दांव पर तो जिंदगी लग जाएगी
;;;;;
पन्ना पन्ना जल गया किस्सा पुराने वक्त का
खाक को दर से हटाते जिंदगी कट जाएगी
...
खुद को बहलाने चला आया इसी बाजार में
क्या पता था मुझको मेरी जिंदगी बिक जाएगी
........
इक खयाली गुल खिलाना रेत की दीवार पर
कौन देगा ये भरोसा, जिंदगी खिल जाएगी
.....
जिस तरह हर राह पर परछाइयाँ पाती सुकून
बस उन्ही परछाइयोंसी जिंदगी ढल जाएगी
........................................................... अरुण
Comments