जो बातें अस्तित्वगत है और चलती रहती हैं, उनकी तरफ हमारा ध्यान नही है, परन्तु जो बातें नहीं हैं और चलती लगती हैं हम उन सभी से तादात्म जोड़े हुए हैं जैसे- खून और उसकी गति, दिल और उसकी धड़कन, सांस और उसका आना जाना – इनकी तरफ हमारा ध्यान नहीं है, परन्तु अस्तित्व में जो हैं ही नहीं यानि सुख-दुःख, विचार-क्रमण मन की गति .... ऐसी बातों में हमारा ध्यान प्रतिपल डूबा पड़ा है. ऐसा किसी व्यक्ति विशेष की भूल के कारण नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवजाति की भ्रान्ति की वजह से हो रहा है -अरुण