भीड़पन, अकेलापन और कैवल्य
मोटे तौर पर
लोग दो तरह के
हैं.
भीड़ में रहने वाले
और अकेले रहने
वाले.
भीड़ वाला अकेले
रहते हुए भी
मन में भीड़ जुटाता
है और
अकेले वाला भीड़
में भी
अकेला हो जाता है
ऐसे भीड़पन
और अकेलेपन से
परे है जो,
वह है – कैवल्य
- अरुण
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