ध्यान की उपस्थिति


क्रोध के क्षण अगर
ध्यान घटित हो जाए तो
क्रोध दया जैसी अवस्था में
रूपांतरित हो जाता है,
कहने का तात्पर्य यह है कि –
ध्यान ही आतंरिक घटनाओं का
सहज- संयम है,
ऐसे संयम में
न कोई दमन है और
न ही कोई विरोध
-अरुण

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